देशभक्ति ग़ज़ल
विषय :-वतन/देशभक्ति
विद्या :-नज़्म
दिनांक :-25 जनवरी 2020
दिन :-शनिवार
______________________________________
वज्न- १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
आप सभी प्रबुद्ध साहित्यसाधक शारद पुत्रों सहित तमाम देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
——————// मादर-ए-वतन——————
वतन के नाम मिट जायें यही बस ख्वाब रक्खेंगे।
लहू से सींचकर भी हम वतन शादाब रक्खेंगे।
भले ही अब हमें कोई करें गुमराह जी भर के-
लड़ेंगे जाहिलों से अब वतन की ताब रक्खेंगे।
कसम हमको तिरंगे की लड़ेंगे मौत तक यारो-
वतन पे जां लुटाने को ज़िगर बेताब रक्खेंगे।
सहन होता नहीं टेढ़ी नज़र दुश्मन कि जो देखें-
अजी गद्दार की खातिर भरा तेजाब रक्खेंगे।
खुदा से इल्तजा इतनी रखे महफूज़ भारत को-
मिटाकर दहसतों को हम ज़िगर नायाब रक्खेंगे।
-पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
_________________________________________
मैं 【पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’】 घोषणा करता हूँ, मेरे द्वारा उपरोक्त प्रेषित रचना मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित और अप्रेषित है।
【पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन】
=====================