मादक सी मस्ती
जब जब याद करूँ मैं तुझको,
आंखे मेरी भर जाती हैं,
मेरे मन के आंगन में तेरी,
तस्वीर नजर आती हैं,
प्यार से जब जब देखा था तुझको,
शर्मा के नजरे झुका लेती थी,
जब चलती थी संग तेरे हवाएं,
लहराता तेरा आँचल था,
बाहों में बांधे जब तू आँचल,
इंद्रधनुष संग चलता था,
लगती थी रम्भा उर्वशी जैसे,
मादक सी मस्त अप्सरा,
उड़ती हुई बिखरी जुल्फों के बीच,
चांद सा था मुखड़ा तेरा,
तेरे पायल की झमझम रुनझुन,
मन के सितार बजाती थी,
मैं गीत गाते गाते तेरे पीछे,
मतवाला हो आता था,
प्यार से थी तब मुझे बुलाती,
अपने गले से लगाती थी,
बस पल में ही मिट जाती थी,
तन मन की थकान मेरी,
हँसते हुए जब तू शरमाकर
प्यार की बाते करती थी,
जीवन की मेरे तू थी आशा,
जबसे गयी निराशा है,