Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2024 · 1 min read

मात पिता

मात पिता का आदर करना
उनके आदर्शों पर चलना

उनकी सेवा करना दिल से
कभी फ़र्ज़ से नहीं मुकरना

उनके मन को चोट न पहुँचे
ध्यान हमेशा इसका रखना

जीवन भर जो बने सहारा
उनके साथ खड़े तुम रहना

जो घायल कर दें उनका दिल
ऐसे वचन न उनसे कहना

लेना आशीर्वाद सदा तुम
घर से जब भी कभी निकलना

होगी यही “अर्चना’ सच्ची
उनको मन मंदिर में रखना

डॉ अर्चना गुप्ता
22.06.2024

Language: Hindi
56 Views
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

मौसम तुझको देखते ,
मौसम तुझको देखते ,
sushil sarna
सु
सु
*प्रणय*
"I having the Consistency as
Nikita Gupta
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
रक्षा -बंधन
रक्षा -बंधन
Swami Ganganiya
चेहरा
चेहरा
Sumangal Singh Sikarwar
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
धर्म कर्म
धर्म कर्म
Jaikrishan Uniyal
*वाल्मीकि आश्रम प्रभु आए (कुछ चौपाइयॉं)*
*वाल्मीकि आश्रम प्रभु आए (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
"जिंदगी की बात अब जिंदगी कर रही"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
महादेवी वर्मा जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि🙏🏻🙏🏻🙏🏻
महादेवी वर्मा जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Harminder Kaur
कविता
कविता
Neelam Sharma
दोेहे
दोेहे
Suryakant Dwivedi
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
घमंड ही घमंड है l
घमंड ही घमंड है l
अरविन्द व्यास
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
फिर से जिंदगी ने उलाहना दिया ,
Manju sagar
क्या पता.... ?
क्या पता.... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
चरित्र राम है
चरित्र राम है
Sanjay ' शून्य'
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
आंतरिक विकाश कैसे लाए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं...!!
खुद से ज़ब भी मिलता हूँ खुली किताब-सा हो जाता हूँ मैं...!!
Ravi Betulwala
বিষ্ণুকে নিয়ে লেখা গান
বিষ্ণুকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
अपनों के बीच रहकर
अपनों के बीच रहकर
पूर्वार्थ
वो अनुराग अनमोल एहसास
वो अनुराग अनमोल एहसास
Seema gupta,Alwar
गीत- हमें मालूम है जीना...
गीत- हमें मालूम है जीना...
आर.एस. 'प्रीतम'
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
Ashwini sharma
बढ़ना होगा
बढ़ना होगा
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
कवि गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर
कवि गुरू रबीन्द्रनाथ टैगोर
goutam shaw
बाढ़
बाढ़
Dr. Vaishali Verma
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
स्त्री ने कभी जीत चाही ही नही
Aarti sirsat
Loading...