मात पिता की बंदना
?मंच को नमन ?
?मात-पिता की बंदना?
नित बंदन उन माता-पिता को,
जिन ये मानव -जन्म दिलाया।
दुख कष्ट प्रसन्न चित्त झेले,
दी प्यार ममता की मधुर छाया।
वो “मां “का प्यारा -प्यारा आंचल,
बसती थी जिसमें खुशियां अपार।
रक्षण करे पिता की सजग आँखें,
मृदु डाँट में छुपा था प्यार-दुलार।
अभावों कीभनक कभी छू न पाई,
नित पूरी फरमाईशों की बौछार।
आत्म व्यथा रही परदे में समाई ,
आत्मजों समक्ष न किया इजहार।
कुटुम्ब हितार्थ सर्व जीवन जिया,
सपनें संजो कर हर्ष संग्रह किया।
न माथे पर शिकन न हृदय प्रपंची,
हर शिकवा ज्यों रस अमृत पिया।
तुम सृष्टि में श्रेष्ठ देव अर्चन भरूं,
प्रकटें नभ रवि नित बंदना करूं
तुम पालक मैं सेवा संकल्प चरूं,
हर जन्म यही कामना मन धरूं।
शीला सिंह
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश ?