“मात -पिता आ पितामह भेलाह बेल्लला “
डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल ”
========================
जहिना -जहिना उम्र बढैत छैक अनुभव क पिटारा भरल जाइत छैक ! ओरिया कें रखने रहित छी ! यदा -कदा प्रयोजन क अनुसारें बाहरि निकलि छिडिया दैत छी .जे लोकताह से लोकथ अन्यथा प्रदर्शन उपरांत पुनः नेपथ्य मे विलीन भऽ जायत !
समय बदलि गेल ! आब हमरालोकनि कें लोक सामाजिक ” भीष्म पितामह ” बुझैत छथि !
” हम जे करब ..जे पहिरब ..जेना रहब सेएह हिनका मानय पडतनि ..आब त हिनका ” धृतराष्ट्रक ” भूमिका में रहबाक चाही ! ”
हो बाबू हमरा –
“स्वीकार अछि ..स्वीकार अछि ! ”
पुत्र लोकनि विभिन्य प्रान्त मे रहित छथि ! आइ हुनकर जन्म दिन ..काल्हि कनिया लोकनिक ..फेर सगाई क सालगिरह ..बच्चा कें जन्म दिन ..इत्यादि इत्यादि सम्पूर्ण साल धरि लागल रहित अछि ! भीष्म पितामह जे भेलहुँ सबकें जन्मदिन आ सालगिरह याद रखबाक अछि ! फोन करू ..विडियो कॉल करू …जन्मदिनक आ सालगिरह क शुभकामना दिय !–
” इ हमर वर्षगांठ अछि ..
हमरा आहांलोकनि आशीर्वाद आ
शुभकामना दिय ! ”
अखनो धरि हमरा अख्यास अछि !
अप्पन जन्म दिन ,
विवाहक सालगिरह आ
कोनो शुभ अवसर पर घरक पैघ लोकनि कें सुति उठि कें हमरालोकनि प्रणाम करैत छेलियनि आ हुनका लोकनिक आशीष प्राप्त होइत छल ! आब हमरालोकनि ” भीष्म पितामह” त बनि गेलहुं मुदा कनि हिनका पुछि लिय —
” आहां क़ अप्पन धृतराष्ट्र आ गांधारी व पितामह क जन्म दिन याद अछि ?..
हुनकर विवाहक दिन याद अछि ?..
वो कहिया ज्वाइन केलनि अप्पन नौकरी मे ?…
कहिया सेवानिवृत भेलाह ?..
संभवतः एहन लोक कें अप्पन आंगुर मे गिनि सकैत छी !
” ..हमरालोकनि भीष्म पितामह आ धृष्टराष्ट्र कें “बेल्लला “बनौने छी ! इ छोट -छोट गप्प नहि थिक अपितु हमरा आभास होइत अछि जे भावी पीढ़ी कतो आहुंकें ” बेल्लला” नहि बना दिये !!
===========================
डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका