मात्र नपुंसक भाव
रोज शहादत दे रहे,भारत मां के लाल।
इधर नपुंसक भाव से सत्ता भरे उबाल।।
सत्ता भरे उबाल ,हो रहीं सूनी गोदी ।
मांग पुछा सिंदूर ,बहन की राखी रो दी।
नीड नीड पर बाज, भेड़िए करें सियासत।
छाती छप्पन इंच , मौन है देख शहादत।।
रोज शहादत दे रहे,भारत मां के लाल।
इधर नपुंसक भाव से सत्ता भरे उबाल।।
सत्ता भरे उबाल ,हो रहीं सूनी गोदी ।
मांग पुछा सिंदूर ,बहन की राखी रो दी।
नीड नीड पर बाज, भेड़िए करें सियासत।
छाती छप्पन इंच , मौन है देख शहादत।।