मात्रिक छंद (आनन्द छंद)
मात्रिक छंद —- आनन्द छंद
मात्राभार –15
मापनी— 1212 -1212- 12
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पुकारती धरा सदा सुनो,
निवारती विधान वो चुनो।
हरी भरी प्रसाद मैं रहूँ,
करो सदा विचार ये कहूंँ।
विकास काल दासता कहे,
जमीन देख दीनता सहे ।
उदास पेड़ पौध आज है,
विनाश खेल रोज काज है।
जला रहा उजाड़ हो रहा,
प्रहार आँख खून रो रहा।
यतीम बाल भीख में पले,
कमीनता कभी नहीं फले।
अमानवी अघोर कामना,
रहे सदा उदार भावना ।
प्रधानता हँसी खुशी रहे,
अधीनता दबी पड़ी रहे ।
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏