मातृ-वन्दना ।
मातृ-वन्दना
मां तेरे चरणों में मैं स्थान बनाने आया हूं,
नहीं जानता पूजा विधि बस भाव समर्पण लाया हूं
तेरी सेवा का वृत पाऊं वर दो
कृपा द्रष्टि से मुझे विभूषित कर दो
विकसे ज्ञान प्रकाश तिमिर सब हर दो,
निज भावों के फूलों का मैं हार चढाने आया हूं
मां तेरे चरणों में मैं स्थान बनाने आया हूं।
नहीं जानता पूजा विधि बस भाव समर्पण लाया हूं।
और कहां जाऊं मां तुम विन
नहीं सहारा दूजा है
श्वास-श्वास के साथ तुम्हारा नाम मेरी जप पूजा है।
कर दो मुझ पर उपकार मातु
मैं तुम्हें मनाने आया हूं
मां तेरे चरणों में मैं स्थान बनाने आया हूं
नहीं जानता पूजा विधि बस भाव समर्पण लाया हूं।
अनुराग दीक्षित