मातृ पितृ दिवस
मातृ पितृ दिवस
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करो मात पिता की सेवा,लो उनका शुभ आशीष।
इनसे बड़ा कोई नही जग में,चाहे कोई भी हो ईश।।
अपनाओ अपनी सभ्यता,पाश्चात्य सभ्यता को छोड़ो।
सर्वोत्तम अपनी सभ्यता पाश्चात्य सभ्यता से नाता तोड़ो।।
जन्म दिया जिन मात पिता ने,उनका नित्य गुण गाओ।
वैलिन डे छोड़कर अब, मातृ पितृ दिवस तुम मनाओ।।
अर्पण से तर्पण मिलता है,कभी भी न उन्हे दुःख देना।
जैसा करोगे उनके साथ,वैसा ही अपने बच्चो से लेना।।
गणेश ने मात पिता की पूजा,पहले उनकी पूजा होती।
सभी शुभ कार्यों में,सर्वप्रथम गणेश की स्तुति है होती।
चुका न सकते मात पिता का ऋण सौ जन्म भी लेलो।
करो उनकी सैदव सेवा,चाहे कितना कष्ट तुम झेलो।।
मात पिता ही तीर्थव्रत है,इनसे बड़ा न तीर्थ कोई।
जिसने करली इनकी सेवा,भवसागर से पार होई।।
मात पिता है पहले शिक्षक,वे ही पालन पोषण करते।
सब देवो से बड़े है,ये रस्तोगी जी हम सबसे है कहते।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम