मातृ दिवस पर मां को समर्पित कुछ पंक्तियां
जब जब इस धरा पर मैं आऊं,
मां तेरी गोदी का स्पर्श मै पाऊं।
चुका न सकता मां के ऋण को,
चाहे सौ सौ जन्म लेकर मैं आऊं।
मां के चरणों में मै सदा शीश झुकाऊं,
कभी भी उससे मै अलग न हो पाऊं।
कटे शीश अगर कभी भी मेरा,
उसे अपनी भारत मां को मै चढ़ाऊं।।
मातृ दिवस मै रोज रोज मनाऊं,
जब कभी रूठे जाए उसे मनाऊं।
एक दिन मनाने से होता है क्या ,
साल के 365 दिन उसे मै मनाऊं।।
मां के सीने से जब चिपट कर सोता,
अपने आप को सुंदर सपनो में खोता।
जब जब तेरे हाथो का स्पर्श मुझे होय,
सारे दुःख दर्द भूलने का आभास होता।।
मेरा नसीब लिखने का हक मां का होता,
तो आज मेरे नसीब में कोई गम ना होता।
मां तेरे दूध का हक,मुझसे अदा ना होगा,
तू है नाराज तो खुश मुझसे कौन होता।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम