#मातृ-दिवस पर दोहे#
#मातृ-दिवस पर दोहे#
निस्वार्थ लुटाकर चले , ममता का संसार।
माँ देवी से कम नहीं , प्राणों का आधार।।
प्रकृति तुल्य माँ रूप है , सदा करे उपकार।
संतान रहे मौज़ मेंं , दुवा करे सौ बार।।
गंगा सरिस पवित्र मन , आशीष अमृत धार।
गोद स्वर्ग से कम नहीं , चरणों में संस्कार।।
माँ वीणा की तान है , माँ गीता का पाठ।
माँ ध्वनि मानो शंख की , माँ बंधन की गाँठ।।
–आर.एस.प्रीतम