Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Feb 2022 · 1 min read

मातृ दिवस के अवसर पर

हे…. जननी तू महान् है
या.. ये कहू… तू सर्वशक्तिमान है।
किस नाम से तेरी बंदना करू
हर नाम में तू विद्यमान है।
संसार के कठोर शब्दों से
तेरी विनम्र वाणी का सहारा मिला।
जीवन रूपी इस नहर में
जब भी कभी नौका डूला।
तूने बढ़ाया हाथ तब इसको तभी किनारा मिला।
हे.. जननी तू महान् है
तू सर्व हैं, तू सर्वशक्तिमान है।

कवियत्री का नाम..
Rachana Jha (रचना झा)

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 301 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता मे रहा
खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता मे रहा
Ranjeet kumar patre
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
Nitesh Chauhan
स्त्रियां अपना सर तभी उठाकर  चल सकती हैं
स्त्रियां अपना सर तभी उठाकर चल सकती हैं
Sonam Puneet Dubey
कोई मिलता है
कोई मिलता है
shabina. Naaz
"दोस्त-दोस्ती और पल"
Lohit Tamta
O CLOUD !
O CLOUD !
SURYA PRAKASH SHARMA
आग लगी थी सीने में।
आग लगी थी सीने में।
Rj Anand Prajapati
भाव और ऊर्जा
भाव और ऊर्जा
कवि रमेशराज
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
सत्य कुमार प्रेमी
मुक्तक7
मुक्तक7
Dr Archana Gupta
Grandma's madhu
Grandma's madhu
Mr. Bindesh Jha
शायर कोई और...
शायर कोई और...
के. के. राजीव
*एक-एक कर जब दोषों से, खुद को दूर हटाएगा (हिंदी गजल)*
*एक-एक कर जब दोषों से, खुद को दूर हटाएगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
SHER
SHER
*प्रणय*
" ऐतबार "
Dr. Kishan tandon kranti
2969.*पूर्णिका*
2969.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आशिक़ का किरदार...!!
आशिक़ का किरदार...!!
Ravi Betulwala
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
**जिंदगी की ना टूटे लड़ी**
**जिंदगी की ना टूटे लड़ी**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं हिन्दुस्तानी !
मैं हिन्दुस्तानी !
Shyam Sundar Subramanian
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
“दो बूँद बारिश की”
“दो बूँद बारिश की”
DrLakshman Jha Parimal
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
झूठा फिरते बहुत हैं,बिन ढूंढे मिल जाय।
Vijay kumar Pandey
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
पूर्वार्थ
* प्रीति का भाव *
* प्रीति का भाव *
surenderpal vaidya
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
रुपेश कुमार
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
Meenakshi Masoom
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
gurudeenverma198
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
ये ताज़गी ये तबस्सुम और ये ज़िन्दगी
इशरत हिदायत ख़ान
Loading...