मातृ दिवस।
जिस मां ने नौ महीने हमें अपनी कोख में रखकर भयंकर प्रसव वेदना सहकर इस संसार में लाई , अमृत समान दुग्ध पान करा हमारी हड्डियों और हमारे शरीर का निर्माण किया। हमारे मल मूत्र को बिना भौं सिकोड़े साफ किया हमें हर हाल में अपनी छाती से लगाकर रखा हमारे लिए अपनी तमाम रातें कुर्बान की तथा बरसो बरस हमें सम्हाला उसको सम्मान देने के लिए हमने 365 दिन में से एक दिन दे दिया कि ले मां हम तुम्हारा इतना सम्मान करते हैं कि तुझे पूरे चौबीस घंटे दिए हैं। हम इसमें कविताए लिखेंगे, लेख लिखेंगे, सेमिनार का आयोजन करेंगें। और फिर साल भर बाद यही प्रहसन दोहराएंगे।