मातृभूमि
बहुत दिवस पर घुरल छी
सिंहेश्वर पावन वसुन्धरा
जुनि दिय कटु वेदना
नहि बिसरल ओ खेत-खलिहान
खेत मे लागल अथार-पथार
मोन अछि ओहिना सब बात,मुदा
हे चान लिखल परदेश हमर कपार
आइ मोन पड़ल अछि
मात्रभूमि हम आबै छी
करू स्वीकार नमन
संस्कार नै बिसरलहुँ हम
स्नेह आशीषक अभिलाषा
दूर रहि सोहारी लेल
देख बरखा मे आइ
बाट पानि मे छमकी हम
कखनहुँ नहि बिसरि हम
बहुत दिवस पर घुरल छी
साँच लागै ई सबटा
आब गोसाउनिक गूंज
इएह अभिलाषा छल हमरा
माँ मिथिले आंचर पाउ
दूर कुल दायित्व हेतु
आब नै चाही कंचा
बहुत दिवस पर घुरल छी
उदाकिशुनगंज शक्ति पीठ
विशु बाबा घर-घर मे
मेंहि ठाम खिरहर मंदिर मे
नित करू दर्शन हम
चंडिका माँ हे मैथिल बहिन
भायसँ नै रुसियौ
कखनहुँ नै बिसरलहुँ कतौ
हे माँ मिथिले
सिंहेश्वर पावन वसुन्धरा
बहुत दिवस पर घुरल छी
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य