मातृभाषा हिन्दी
हिंदी हिन्दुस्तानी मातृभाषा, संस्कृत सुता कहलाए,
मानक, सम्पर्क, राज, राष्ट्र, देवनागरी लिपि बन जाए।
स्वर,व्यंजन,अनुस्वार,अनुनासिक, विसर्ग इसे सजाए,
रस,छंद,अलंकार युक्त,कर्णप्रिय, मृदुभाषी सम सुहाए।
प्रस्फुटित होते शब्द जब, प्रज्वलित करे जस ज्वाला,
हिंदी ज्ञान अभिमान करे, बन प्रेमचंद, दिनकर,निराला।
स्वाभिमान आत्मसम्मान दे, सभ्यता, संस्कृति, संस्कार,
प्रेम पुष्प हिय सृजन करे, कर पृथक हृदय विकार।
सहज, सरल, सौम्य, मधुर, वीणा पाणि वरदे समान,
स्वर उच्चारण अग्रसारित करे, हिंद का मान सम्मान।
?? मधुकर ??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।