मातु काल रात्रि
मातु काल रात्रि
माता कालरात्रि तुम आओ।
भय संशय सब दूर भगाओ।।
शक्ति सातवीं तुम हो माता।
श्याम वर्ण है तुमको भाता।।
बुरी शक्ति को आप मिटातीं।
भक्ति शक्ति को नित्य बढ़ातीं।।
माँ का गर्दभ बना सवारी।
महिमा तेरी माता न्यारी।।
जगत अंधता आप मिटाओ।
ज्ञान पुंज जग में बरसाओ।।
मानव मानव को पहचाने।
प्रेम शक्ति को उर से जाने।।
काल रात्रि से दानव डरते।
कर्म अनोखे डरकर करते।।
विनय ओम पर माँ बरसाओ।
ज्ञान बुद्धि दे साज सजाओ।।
जीवन लक्ष्यों को मैं जानूँ ।
भक्ति मार्ग का सत पहचानूँ ।।
ज्ञान बुद्धि अरु माया पाऊँ।
महिमा तेरी निशि दिन गाऊँ।।