****माता रानी आई ****
****माता रानी आई****
लाल लाल चुनरिया सजाई
शेर पे सवार हो माँ आई
उग आये हरे भरे जवारे
जय माता दी सब पुकारें।
हलवा,पूड़ी साग बनाऊँ
मैया को क्या भोग लगाऊँ
लक्ष्मी, सरस्वती, शिव की गौरा
मैया का लाल लाल चौला।
सदन आज देवालय से बने
है गली गली पंडाल सजे
लाल चुनरी चूड़ा हरा है
रूप मैया का सुंदर सजा है।
दीप, ज्योति है अखंड जलती
आभा उज्जवल सी दमकती
व्याकुल भक्त सुनायें दुखड़ा
चाँद से सुंदर माँ का मुखड़ा।
नौ दिन तक है पूजी जाती
नवरात्रि तब यूँ कहलाती
धूप,दीप, हवन ध्यान करना
मैया को तुम प्रसन्न रखना।
नव दिवस के रूप निराले
कितने पावन भोले भाले
शंख,ढोल,मृदंग, झाँझ बजाना
मैया का जयकारा लगाना।
घर घर कंजक पूजन होता
मैया का वो रूप कहाता
खोल देना द्वार सदन के
द्वार पे माता रानी आई।
✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक