माता प्राकट्य
माता के नौ रूप का ,पूजन अर्चन भक्ति ।
जीवन नित मजबूत कर, प्राप्त करे मन शक्ति ।।1
पूजन कर नौ रात्रि का ,करें मनोरथ पूर्ण ।
महा अष्टमी आज है ,बजता पावन तूर्ण ।।2
महिषासुर ने माँगकर,ब्रह्मा से वरदान ।
देवों का करने लगा, हनन और अपमान ।।3
महिषासुर-वरदान में ,छुपा हुआ था राज,।
वनिता से वह हारकर,खो देगा निज ताज।।
ब्रह्मा विष्णु महेश से ,प्रकट हुई जब शक्ति ।
हुई प्रकंपित तब धरा ,करें देवगण भक्ति ।।5
नौ दिन तक संग्राम कर ,दिन दसवें जयघोष ।
महिषासुर मारा गया ,मिला सुरों को तोष ।।6
जय -जय का उद्घोष कर ,विजय मनाते देव ।
शांत धरा सुर गा रहे , जय जगजननि त्वमेव ।।7
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
3/10/2022
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