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24 Jul 2021 · 1 min read

माता-पिता

मनहरण घनाक्षरी में रचित
********************

ममता की भाषा बोले,माँ ही सारा प्रीत घोले,
पिता की है बड़ी त्याग, इनकी जय बोल।

पाल पोश बड़ा किये, प्यारा नाम तुझे दिये,
सब कष्ट सह के भी, अपना दिल खोल।

माता दोष सारा पीती, पिता तो सबल भित्ति,
खुश करे पेट काट, निभाये हँस रोल।

जब भी बुढ़ापा ढाये, दिल बस तू ही छाये,
बृद्ध आश्रम के लिये, कभी न दर खोल।

नहीं कभी चुका देगा, चाहे जन्म जगो लेगा,
है कर्ज इनका बड़ा, नयन अब खोल।

नाही ढूढ़ मक्का बांसी, घर में है तेरे काशी,
सब धन से बड़ा तो, है मात पितु मोल।

★★★★★★★★★★★
अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
★★★★★★★★★★★

2 Likes · 364 Views
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