Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2018 · 2 min read

माता- पिता के प्रति बच्चों का कर्तव्य

हमारी भारतीय संस्कृति व परंपरा के अनुसार माता- पिता को परमपिता परमेश्वर से भी श्रेष्ठ माना गया है । ईश्वर को हम देख नहीं सकते…. बस हृदय में उस सर्वोच्च सत्ता की कल्पना कर आस्था के वशीभूत रहते हैं …. पर जन्मदाता माता- पिता के स्वरूप का हमें नित्य दर्शन होता है… उनकी छत्र- छाया में हमारा पालन- पोषण बड़े लाड़- प्यार से होता है । बच्चों को विकसित होते देख माता- पिता फूले नहीं समाते… व मन ही मन न जाने कितने ख़्वाब बुन लेते हैं ।उन्हें शिक्षित कर जीवन – पथ पर अग्रसर होने हेतु प्रेरित करते हैं।विवेक, सदाचार, संयम जैसे सद्गुण का सबक सिखा जीवन के दुर्गम व कँटीली राहों पर बढ़ने हेतु उत्साहित करते हैं।सामाजिक व पारिवारिक दायित्वों का बोध करा उन्हें बहुमुखी प्रतिभाशाली बना , अच्छे व बुरे का ज्ञान दे उनका मार्ग प्रशस्त करते हैं ।
अत: बच्चों का भी कर्तव्य बनता है कि व्यस्क होने के बाद घर व बाहर की ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते हुये अपने जनमदाताओं का विशेष ध्यान रखें ।यों तो हमारे भारतीय परिवेश में बच्चे माता- पिता को पूर्ण सम्मान दे उनके साथ ही जीवन- यापन करते हैं…. उनको ख़ुश देखकर, उनकी इच्छाओं की पूर्ति कर मानसिक संतुष्टि प्राप्त करते हैं। वृद्धावस्था में माता- पिता के स्वास्थ्य का भरपूर ध्यान रखना, उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति अपना प्रथम कर्तव्य समझ बच्चों को कुछ पल उनके साथ बैठकर उनके मन की बातें भी सुननी चाहिये जिससे माता- पिता को आत्मसंत्तुष्टि मिल सके ।यही वे वट- वृक्ष हैं जिनकी छाया तले पौधे व व्यस्क होते पेड़ स्वयं को सुरक्षित समझते हैं क्योंकि बड़े बुज़ुर्ग ही मुसीबत के समय अपने आँचल की शीतल छाया बच्चों को देते हैं ।अत: बच्चों को भी अपने सेवा- सुश्रुषा धैर्य रूपी जल से उन्हें सींचते रहना चाहिये जिससे समय आने के पूर्व ही ये वृक्ष न मुरझायें ।
आज आधुनिक युग मे पाश्चात्य रंग में रंगकर बहुत से बच्चे स्वार्थ के वशीभूत हो माता- पिता को दर- दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर देते हैंया वृद्धाश्रमों में छोड़ देते हैं । वे भूल जाते हैं….. जैसा बोयेंगे वैसा काटेंगे….. उनके बच्चे भी भविष्य में अपने माता- पिता के साथ वैसा ही करेंगे ।
कहा गया है कि माता- पिता के चरणों में ही स्वर्ग है…. अत: जिस स्वर्ग की प्राप्ति के लिये हम पूजा- पाठ व धार्मिक कृत्य करते है… उसकी जगह माता- पिता की सेवा कर स्वर्ग पाना ज़्यादा फलीभूत है । उनकी सेवा से ही आशीर्वाद मिलता है…. फलस्वरूप बच्चों पर आई मुसीबतें भी दस्तक दे लौट जाती हैं । अत: माता- पिता के उपकारों का ऋण कोई नहीं चुका सकता तथापि उन्हें सामर्थ्यानुसार उचित मान व सम्मान दें… उनको अपने हृदय में वास दें …. इति
आज का विषय बहुत विस्तृत है… पर मैं अपनी लेखनी को यहीं रोक रही हूँ ।।

मंजु बंसल “ मुक्ता मधुश्री”
जोरहाट
( मौलिक व प्रकाशनार्थ )

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 1 Comment · 3609 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय*
बस यूँ ही
बस यूँ ही
Neelam Sharma
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
Paras Nath Jha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सच्चा नाता
सच्चा नाता
Shriyansh Gupta
"निशान"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे आदिवासी होने पर गर्व है
मुझे आदिवासी होने पर गर्व है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
गीत
गीत
Shiva Awasthi
दे ऐसी स्वर हमें मैया
दे ऐसी स्वर हमें मैया
Basant Bhagawan Roy
सत्य मिलता कहाँ है?
सत्य मिलता कहाँ है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
DrLakshman Jha Parimal
मिट्टी के दीए
मिट्टी के दीए
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
दीपो का त्योहार
दीपो का त्योहार
रुपेश कुमार
सोचा होगा
सोचा होगा
संजय कुमार संजू
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
यूं ना कर बर्बाद पानी को
यूं ना कर बर्बाद पानी को
Ranjeet kumar patre
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
Shweta Soni
मदहोशियां कहाँ ले जाएंगी क्या मालूम
मदहोशियां कहाँ ले जाएंगी क्या मालूम
VINOD CHAUHAN
गृहस्थ संत श्री राम निवास अग्रवाल( आढ़ती )
गृहस्थ संत श्री राम निवास अग्रवाल( आढ़ती )
Ravi Prakash
नव दुर्गा का ब़म्हचारणी स्वरूप
नव दुर्गा का ब़म्हचारणी स्वरूप
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन
Satish Srijan
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
श्री राम एक मंत्र है श्री राम आज श्लोक हैं
श्री राम एक मंत्र है श्री राम आज श्लोक हैं
Shankar N aanjna
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
Neeraj Agarwal
औरत.....?
औरत.....?
Awadhesh Kumar Singh
Loading...