माता-पिता का फ़र्ज़
ताक़त दौलत औलाद है,इसको तुम क़ाबिल करो।
ये चमकें सूरज चाँद बन,तय इनकी मंज़िल करो।।
बच्चे संस्कारी हो गए,इस जीवन में मौज़ है।
बच्चे लाचारी हो गए,हंगामा फिर हर रोज़ है।
खुद से बढ़के तुम ध्यान दो,अनुशासन शामिल करो।
ये चमकें सूरज चाँद बन,तय इनकी मंज़िल करो।।
जोड़ी पूँजी किस काम की,बच्चे बद निकले अगर।
बच्चे अच्छे गर हो गए,जोड़ेंगे खुद हो निडर।
सोचो समझो इस बात को,ख़ुशियाँ दो फिर हासिल करो।
ये चमकें सूरज चाँद बन,तय इनकी मंज़िल करो।।
आचरण देख ये आपका,जीवन जीना सीखते।
जैसा माडल है आपका,वैसे ही बनके दीखते।
जीवन लहरों से जूझके,हवाले इन्हें साहिल करो।
ये चमकें सूरज चाँद बन,तय इनकी मंज़िल करो।
ताक़त दौलत औलाद है,इसको तुम क़ाबिल करो।
ये चमकें सूरज चाँद बन,तय इनकी मंज़िल करो।।
आर.एस.प्रीतम
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