*माता (कुंडलिया)*
माता (कुंडलिया)
माता जग-जननी हुई, माता जग-आधार
माता ने जग को रचा, माता से संसार
माता से संसार, जन्म कन्या ले आती
माता के बहु-रूप, सृष्टि बहु-भॉंति चलाती
कहते रवि कविराय, नमन हे जगत-विधाता
नमन-नमन सौ बार, नमन तुमको हे माता
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451