माताओं का निरादर
मनुष्य के जीवन निर्माण में चार माताओं का बहुत
योगदान है।जिनके बिना उसका कोई वजूद नहीं।
धरती मां ,नदी मां ,जननी और गौ माता ।मगर
बड़े अफसोस की बात है की आज का मनुष्य इन
चारों की ही कद्र नहीं करता ।कितना एहसान फरामोश
हो गया है ।खून के आंसू रुलाता है इन सब को ।
कठोरता तो अब तक बरतता था इनके साथ मगर ,
अब दरिंदगी भी ।इसे अपने खौफनाक अंजाम की
ज़रा भी परवाह नहीं। ना जाने यह नैतिक और चारित्रिक पतन इसे किस भयानक नर्क में फेंकेगा ।
मगर जो भी हो वोह अपनी खाई खुद खोद ही रहा है ।
कभी न कभी तो अपने कुकर्मों का फल जरूर भुगतेगा ।क्योंकि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं।