मातर मड़ई भाई दूज
मातर मड़ई,, भाई दुज
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मातर मड़ई मेला
भाई दुज के दिन।
चलव संगी जाबों
देव धामी के तीर।।
नाचत कुदत राऊत
सकलाही सब झिन।
सोहही बांधें राऊत
रवतईन रांधही खीर।।
प्रेम प्रीत के डोरी अऊ
मया दुलार के बंधना।
लेके आही दीदी भाटों
हासत कुदत घर अंगना ।।
गांव भर खुशी मनाबो
मातर मेला के तिहार।
देवता धामी उमड़ जाथे
पुजा करथे जी सियान।।
रक्षा खातिर गांव भर के
सुनता सब झन हो जाथे
तीर तखार के दाई दीदी
भाई बहिनी घलो आथे।।
मौलिक रचना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग