Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2022 · 1 min read

✍️मातम और सोग है…!✍️

✍️मातम और सोग है…!✍️
———————————–//
वो फूंक कर चिंगारी शहर में,
पूछता है किसने आग लगाई ?
सारे चूल्हों की बुझाकर आँच ,
पूछता है किसने भूख सुलगाई ?

कल उसके ही हाथ में चंद पत्थर थे
पूछता है,तावदानो में ये सुराग कैसा?
उसके सफ़ेद कमीज़ पर लाल छींटे थे,
पूछता है,ज़मीपर लहु का ये दाग कैसा?

ऊँचे मीनार गुबंद की असास ढ़हा दी
पूछता है,बची एक दिवार किसकी है?
हिंदू ना मुसलमान,मारा गया इंसान था
पूछता है,चौराहे पर मज़ार किसकी है?

कांधा देने भीड़ है उसकी दहलीज़ पर
पूछता है,ये किसका मातम और सोग है?
कोई अज़ाब नहीं उसे,किसी इल्जाम का,
कहता है,मेरी साफ़,सुफेद गिरेबाँ बेदाग है।
—————————————————–//
✍️”अशांत”शेखर✍️
10/06/2022

1 Like · 4 Comments · 383 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
Dr.Pratibha Prakash
क्या जनता दाग धोएगी?
क्या जनता दाग धोएगी?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Seema Garg
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
*आज का संदेश*
*आज का संदेश*
*प्रणय*
"सूत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं शामिल तुझमें ना सही
मैं शामिल तुझमें ना सही
Madhuyanka Raj
2835. *पूर्णिका*
2835. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लोट के ना आएंगे हम
लोट के ना आएंगे हम
VINOD CHAUHAN
मुझे  किसी  से गिला  नहीं  है।
मुझे किसी से गिला नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आदमी  उपेक्षा का  नही अपेक्षा का शिकार है।
आदमी उपेक्षा का नही अपेक्षा का शिकार है।
Sunil Gupta
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
शीर्षक - बचपन
शीर्षक - बचपन
Ankit Kumar Panchal
!! ख़फ़ा!!
!! ख़फ़ा!!
जय लगन कुमार हैप्पी
ज़िम्मेदारी उठाने की बात थी,
ज़िम्मेदारी उठाने की बात थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" একে আমি বুকে রেখে ছী "
DrLakshman Jha Parimal
बहुत कष्ट है ज़िन्दगी में
बहुत कष्ट है ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
तो जानो आयी है होली
तो जानो आयी है होली
Satish Srijan
*चालू झगड़े हैं वहॉं, संस्था जहॉं विशाल (कुंडलिया)*
*चालू झगड़े हैं वहॉं, संस्था जहॉं विशाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*तुम अगर साथ होते*
*तुम अगर साथ होते*
Shashi kala vyas
तुम रूबरू भी
तुम रूबरू भी
हिमांशु Kulshrestha
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
*सुकुं का झरना*... ( 19 of 25 )
*सुकुं का झरना*... ( 19 of 25 )
Kshma Urmila
संविधान में हिंदी की स्थिति
संविधान में हिंदी की स्थिति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Compassionate companion care services in Pikesville by Respo
Compassionate companion care services in Pikesville by Respo
homecarepikesville
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
पूर्वार्थ
जिंदगी में रंग भरना आ गया
जिंदगी में रंग भरना आ गया
Surinder blackpen
खूब निभाना दुश्मनी,
खूब निभाना दुश्मनी,
sushil sarna
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
जी भी लिया करो
जी भी लिया करो
Dr fauzia Naseem shad
Loading...