मातंगनी हाजरा बूढ़ी गांधी
पूर्वी बंगाल (वर्तमान बंगला देश)१९अक्टोबर१८७०में
मिदनापुर जिले के होगला गांव निर्धन परिवार में मातंगिनी जन्मी थीं
१२बर्ष की आयु में ६२ बर्षीय विदुर तिरलोचन के परिणय सूत्र में बंधीं थीं
१८बर्ष की उम्र में निसंतान विधवा हो, एकांत जिंदगी जीतीं थीं
सौतेले पुत्रों की उपेक्षा से, तामलुक में मजदूरी कर जीवन यापन करतीं थीं
अनपढ़ मातंगनी में देश प्रेम रग रग में भरा था
महिलाओं को संगठित कर,१९३२ अहिंसक आंदोलन किया था
नमक बनाकर नमक कानून तोड़ जैल गईं
१९३३में कर बंदी आंदोलन में,मातंगनी सबसे आगे थीं
वंदे मातरम उदघोष किया, और तिरंगा थामे थीं
गोली की चेतावनी दी अंग्रेजों ने,वे कहां मानने वाली थीं
पहली गोली लगी पैर में,पर मातंगिनी नहीं रुकीं
दूजी गोली लगी हाथ में, फिर भी आगे बढ़तीं गईं
तीसरी गोली सीने पर मारी,वे तिरंगा थामे शहीद हुईं
मातंगिनी से अपने कामों से, बूढ़ी गांधी कहलाईं
उनके श्री चरणों में नमन,जय हिन्द ?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी