माटी
अपना देश, अपनी माटी,
अपनी धरा और घाटी,
आती है याद सात समुदंर पार से,
मिलने काे दिल करता है बचपन के यार से,
यहाँ धन है दाैलत है, पर सच्चा यार नही,
यहाँ वैभव है विलासिता है, पर सुखी सच्चा प्यार नही,
जब गिरता है आँखाे से नीर,
याद आते है मेरे देश के वीर,
धर्म की रक्षा के लिये चलते थे तीर,
प्रेम हाेता था निश्चल, मिलते थे रांझा और हीर,
मुझकाे बुला रही ,वाे मेरी देव धरा,
ज्ञान जहाँ से पाया, बनेगी वही मेरी कर्म धरा,
।।।जेपीएल।।।