माटी
प्रकृति का एक संरचना है माटी,
पृथ्वी पर जीवन जीने का,
एक निराला नींव है माटी,
चित्रकला का एक संरचना है माटी।
इस पृथ्वी पर हुए,
सभी युद्धों का दृढ़ता है माटी,
अपने ही लोगों का,
रुधिर आनाकानी देखा है माटी।
सभी माटी अवलोकन में,
एक सजातीय अवलोकन है,
लेकिन सबको न संप्राप्ति,
कलित ढांचा का संरचना है,
जो माटी कलित ढांचा लहने में,
अनेक संताप झेलता है,
उसे ही संप्राप्ति,
कलित ढांचा का संरचना है।
माटी के सबब ही,
भाई – भाई बन जाते,
एक – दूसरे के जिघत्नु हैं,
और बन जाते हैं,
एक – दूसरे के रुधिर के प्यासे हैं।
लेखक :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार