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11 Dec 2022 · 1 min read

माटी में ही मिल जाए

******** माटी में ही मिल जाना **********
************************************

माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना।
पलभर में है बुझ जाना पलभर में खिल जाना।

मानवजन तो धरती पर जैसे हो खेल-खिलौना,
जीवन तेरा ऐसे बन्दे जैसे बिछा कोई बिछोना,
माटी में ही खेल – खेल कर माटी में घुल जाना।
माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना।

रेत का खाली ढेर है बंदा झट में ही ढह जाए,
सागर की लहरों के संग संग पल में बह जाए,
किस का तू है मान करे यहीं पर ही रह जाना।
माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना।

मृत्तिका गर बदन पर लागे पल में झाड़ गिराए,
मृण की कीमत को धूल को भूला न बता पाए,
मन की पीड़ा कोई न समझे न चाहे समझाना,
माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना।

मनसीरत मिट्टी का पुतला दर-दर ठोकरें खाए,
मिट्टी से कभी दूर न भागे सभी को धूल चटाए,
मिट्टी से मिट्टी में मिल कर मिट्टी में घुल जाना।
माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना।

माटी में है जन्म लिया माटी में ही मिल जाना।
पलभर में है बुझ जाना पलभर में खिल जाना।
*************************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
Tag: गीत
73 Views
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