माटी के दीप जलाओ
माटी के दीप जलाओ
******************
माटी के दीप जलाओ,
दीवाली खूब मनाओ।
घर – घर मे दीप जले हैं,
घी से भर दीप जलाओ।
भाई-भाई प्रेम करो जी,
आपस मे प्रीत बढ़ाओ।
आंगन को खूब सजाओ,
तुम नग़मे गीत गाओ।
आये हैं साल खशी के,
खुद नाचो और नचाओ,
हिय में वो राग बसा है।
सरगम तो यार सुनाओ।
मनसीरत आज खुशी में,
प्यार सा ढोल बजाओ।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)