माटी :कुछ दोहे
माटी :कुछ दोहे
माटी मिल माटी हुआ, माटी का इंसान।
माटी अंतिम हो गई,मानव की पहचान।।
………..माटी अंतिम हो गई,मानव की पहचान।
………..माटी- माटी हो गया, साँसों का अभिमान।।
माटी -माटी हो गया, साँसों का अभिमान।
खंडित सारे हो गए, जीने के वरदान।।
………..खंडित सारे हो गए, जीने के वरदान।
…………पल भर में माटी हुआ माटी का परिधान।।
पल भर में माटी हुआ, माटी का परिधान।
माटी के पुतले यही, तेरी है पहचान।।
सुशील सरना