माटी का धड़
वक्त गया जो लौट न फिर वो आएगा
माटी का धड़ माटी में मिल जायेगा
वक्त रहे तू खुद को बंदे जान भी ले
वरना फिर बैठा पीछे पछतायेगा
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला
वक्त गया जो लौट न फिर वो आएगा
माटी का धड़ माटी में मिल जायेगा
वक्त रहे तू खुद को बंदे जान भी ले
वरना फिर बैठा पीछे पछतायेगा
© डॉ० प्रतिभा ‘माही’ पंचकूला