Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Feb 2022 · 1 min read

माटी का कर्ज

ऐ साथी, जब हम तुम प्यार इश्क़ ……..और मोहब्बत की खुदगर्जी में खोये थे,

सरहद की बर्फ़ पर कोई अपना वादा निभा रहा था
और वो भारती मां की माटी का कर्ज चुका रहा था ।

– कृष्ण सिंह

मेरे बारे में….
मेरा नाम “कृष्ण सिंह” है । मैं सरकारी जॉब में हूँ । हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव में रहता हूँ । कविता अपने लिये लिखता हूं, लेकिन औरों से बाटने में आनन्द की अनुभूति होती है । प्रथम कविता 02 फरवरी 2022 में अमर उजाला अखबार के “मेरे अल्फ़ाज़” ब्लॉग में “कुछ कहने का दिल है आज बहुत दिनों के बाद” शीर्षक से प्रकाशित हुई है। तभी से लिखने की एक नई दिशा मिली हैं । आपके अमुल्य प्रतिकिया के सदैव इन्तजार में… कृष्ण सिंह’…. आप मुझसे बात यहाँ कर सकते …. आप चाहे तो अपना नाम और e-mail id भी दे सकते है ।

Language: Hindi
246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*साधुता और सद्भाव के पर्याय श्री निर्भय सरन गुप्ता : शत - शत प्रणाम*
*साधुता और सद्भाव के पर्याय श्री निर्भय सरन गुप्ता : शत - शत प्रणाम*
Ravi Prakash
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
रामजी कर देना उपकार
रामजी कर देना उपकार
Seema gupta,Alwar
माता रानी दर्श का
माता रानी दर्श का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वो मुझे प्यार नही करता
वो मुझे प्यार नही करता
Swami Ganganiya
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
ruby kumari
पद्मावती पिक्चर के बहाने
पद्मावती पिक्चर के बहाने
Manju Singh
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Sidhartha Mishra
" सन्देह "
Dr. Kishan tandon kranti
🙅आज का मैच🙅
🙅आज का मैच🙅
*प्रणय प्रभात*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गव
जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गव
Rituraj shivem verma
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
तमाम उम्र अंधेरों में कटी थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इस दुनिया में जहाँ
इस दुनिया में जहाँ
gurudeenverma198
देख तुम्हें जीती थीं अँखियाँ....
देख तुम्हें जीती थीं अँखियाँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
surenderpal vaidya
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
भाई बहन का प्रेम
भाई बहन का प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
A GIRL IN MY LIFE
A GIRL IN MY LIFE
SURYA PRAKASH SHARMA
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
Phool gufran
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
रफ़्तार - ए- ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
पंचायती राज दिवस
पंचायती राज दिवस
Bodhisatva kastooriya
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
मैं नारी हूं...!
मैं नारी हूं...!
singh kunwar sarvendra vikram
4128.💐 *पूर्णिका* 💐
4128.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सच्ची  मौत
सच्ची मौत
sushil sarna
शिकवा
शिकवा
अखिलेश 'अखिल'
Now awake not to sleep
Now awake not to sleep
Bindesh kumar jha
Loading...