माज़ी
याद माज़ी की जब भी आती है.,
पूछ मत किस क़दर रुलाती है.!
यूँ समझ ले कि ज़िन्दगी उस दम.,
ग़म के दरिया में डूब जाती है..!!
( ख़ुमार देहल्वी )
याद माज़ी की जब भी आती है.,
पूछ मत किस क़दर रुलाती है.!
यूँ समझ ले कि ज़िन्दगी उस दम.,
ग़म के दरिया में डूब जाती है..!!
( ख़ुमार देहल्वी )