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7 Jun 2023 · 1 min read

कश्ती

कश्ती
इक ख्वाब सजाये हैं दिल नें मेरे,
उसको बतलाना मुश्किल है,

ये नाव भंवर में ही डोल रही,
इसे पार लगाना मुश्किल है,

कश्ती फंसी भंवर अब तो मोहन,
बस तेरा ही इक सहारा है,

बन पतवार ,मोहे पार लगाओ,
प्रभु हमनें तुम्हें पुकारा है,

अब आओ हे गिरिधर, बनके मांझी,
नईया गोते गुड़ गुड़ खाये,

जीवन मरण के जाल में फंस कर,
आत्मा मिलन की आस लगाए,

कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी

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