माखन चोर
मेरे कान्हा सा कोई नहीं है
देख लो दुनिया, कहीं नहीं है
लिया जन्म जब कारागार में
कुछ क्षण में वो वहीं नहीं है
है लीला ये उसकी अपरमपार
लेकिन वो पूतना जानती नहीं है
चली है नन्हें कान्हा को मारने
अपनी मौत को दावत दे रही है
इतना भी वो जानती नहीं है
मानता था वो कालिया नाग भी
कोई उसके जैसा शक्तिशाली नहीं है
सिखाया जब नन्हें कान्हा ने सबक उसको
तब समझा कि उसका गुरु तो यहीं है
कान्हा की बाल लीला के जैसे
कोई भी चीज़ आह्लादित करती नहीं है
जिसकी चाहत न हो, कान्हा के जैसी संतान
इस जग में ऐसी कोई माता नहीं है
डर गया था महाबली कंस भी
जिसके धरती पर आने की आहट से ही
पल रहा है उसका काल गोकुल की धरती पर
वो मूरख इतना भी जानता नहीं है
करती हैं शिकायत उसकी ग्वालिने जब
यशोदा मैया उनकी बात मानती नहीं है
है उसी का लाल माखन चोर गोकुल का
बेचारी यशोदा मैया इतना भी जानती नहीं है।