माई थपकत सुतावत रहे राति भर।
माई थपकत सुतावत रहे राति भर।
हमके लोरी सुनावत रहे राति भर।
नींद से अखियाँ मातल रहे माई के,
चाँन हमरा दिखावत रहे राति भर।
माई खइलस ना तनिका ऊ भूखे रहल,
खून आपन पिआवत रहे राति भर।
माई मुस्कान हमरा के देके सुनी,
लोर आपन छुपावत रहे राति भर।
जब ले सुतल रहे ना सचिन गोदि में,
ऊ कहनिएँ सुनावत रहे राति भर।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’