मां
लोग क्या से क्या हो गए देखते-देखते।
सिर्फ़ मां ही मां रही ताउम्र गिरते परते।
लोगों के वास्ते कुछ किया तो क्या ख़ाक
किया,
गर कुछ कर न सका तूँ मां के वास्ते।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
लोग क्या से क्या हो गए देखते-देखते।
सिर्फ़ मां ही मां रही ताउम्र गिरते परते।
लोगों के वास्ते कुछ किया तो क्या ख़ाक
किया,
गर कुछ कर न सका तूँ मां के वास्ते।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी