“मां”
माता सिंह पर सवार उनके नव अवतार।
सुबह शाम उनको नमन हम करते हैं।
देती सबको उपरहार भरती जीवन में संचार।
पाकर कृपा पापी कामी भव पार को करते हैं।
करती भक्तों का उद्धार होती उनकी जय-जयकार । मुंडमाला देख-देख खल दल सब डरते हैं।
भोजन करती अहंकार भक्ति करे संसार।
लेकर नाम जिनका चरण वंदन हम करते हैं।
अष्टभुजा है अपार उनके नयन हजार।
जो दृष्टि से सृष्टि का नजारा नित् करते हैं।
भर दे गर् वह हुंकार मच जाए हाहाकार।
उनकी दृष्टि से सृष्टि में प्रलय हुआ करते हैं।
मिले भक्तों को दुलार उठती खुशी की बहार।
देव दानव साथ-साथ नमन फिर करते हैं।
करो सच्ची पुकार सुनती माता दरकार।
सुख समृद्धि शांति मोक्ष तेरे द्वार खटकते हैं।
उनका वंदन बारंबार जिनकी रचना संसार।
एक स्वर में सभी जन पुकार मां की करते हैं।
प्रशांत शर्मा “सरल’
नेहरु वार्ड नरसिंहपुर
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