मां
वो उँगली पकड़ कर के चलना सिखाती
अगर नींद आये न पलना झुलाती
मुझे डांटती और फिर प्यार देती
बुरी आदतों से वो मुझको बचाती
जमाने के सारे गुणों दुर्गुणो को
बड़े चान्व से ही वो मुझको बताती
कहीं गिर न जाए मेरा लाल फिर से
तभी सद्गुणों की सडक वो बनाती
तू ही मेरा छैया तू ही है कन्हैया
मुझे ऐसी प्यारी सी लोरी सुनाती
कभी खेलकर जब भी वापस मैं आता
बड़े प्यार से मुझको गोदी उठाती
उदासी में आशा की किरणें सी है वो
सभी दुख भुला कर के मुझको हंसाती
ओम नारायण कर्णधार
ग्राम केवटरा पोस्ट पतारा
हमीरपुर उत्तर प्रदेश
7490877265