”मां ”
कविता-14
तू ही बता तेरे सिवा बताऊं किसे
तू ना समझे तो समझाऊं किसे
चाहत का एहसास दिलाऊं किसे
मैं तो तेरी दुनिया से दूर बहुत हूं
फिर अपना हाल बताऊं किसे
कहनें को जमाना है पूरा साथ मेरे मगर
ना कोई जुबां को समझें ना जज़्बात को
किससे इजहार करूं अपनी खुशी
किसको अपना दर्द बेखौफ कहूं
मां! तू ही बता तेरे सिवा बताऊं किसे..