मां होती है
मां तुम सागर जैसी हो,
विशाल विचारों की
वृहद हरदय धारो की
नदियां जैसी तुच्छ हमींं
अपने जीवन का उत्सव आंनद
मां सब तुझ से ही।
सागर अपने नीरवाष्प से
बरखाता बादल छम-छम,
मां तुम भी अपने त्याग से
हमें निखारती हर दम।
हरियाली करती हमारा जीवन।
सागर की तरह सदा रहोगी अमर
समझों हमें आप जीवन भर
त्याग दया समर्पण नेह
नहीं होता हैं कम।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान