मां है अमर कहानी
मां है अमर कहानी
त्याग तपस्या बलिदानों की ,मां है अमर कहानी
महिमा शब्दों में कहीं न जाए ,उपमा सब सकुचानी
प्रेम दया करुणा की मूरत, मां जीवंत कहानी
ममता और प्यार की, सूरत जानी-मानी
मां जैसी जग में प्रीत नहीं, दुनिया में ऐसा मीत नहीं
मां धरती पर मूरत है ,साक्षात भगवान की
पीड़ा सहकर भी गाती है, दुख में भी मुस्कुराती है
बिना थके जो काम करें, कभी नहीं आराम करें
लाखों कष्ट सहे फिर भी, संतान का मां प्रतिपाल करे
स्वर्ग बसे जिनके चरणों में ,मां ममता भरी कहानी
मां गीत प्रेम के गाती है ,लोरी रोज सुनाती है
पाल पोस कर बड़ा करें ,एक इंसान बनाती है
मां तो बस मां ही है जग में ,नहीं है मां का सानी
मां ही तो है इस जग की जननी ,मां है अमर कहानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी