मां ही मां पुकारूंगा ——– (घनाक्षरी)
“””””””””मनहरण घनाक्षरी””””””
मानूं मां का उपकार, मां ने दिखाया संसार।
एक नहीं बार बार, मां ही मां पुकारूंगा।।
पाला उदर में पाला,नव मास भी संभाला।
दिया रक्त का निवाला, मां ही मां पुकारूंगा।।
आया धरती पे आया,खुला गगन दिखाया।
जागकर सुलाया मुझे, मां ही मां पुकारूंगा।।
ऋण माता का है भारी,बात मानिए हमारी।
मां ही दुनियां हमारी, मां ही मां पुकारूंगा।।
राजेश व्यास अनुनय