मां सरस्वती
ज्ञानदायिनी, वीणावादिनी
कला निधान सर्वेश्वरी
वही संध्येश्वरी, ब्राह्मी, भारती
वही मां सरस्वती ।
जिसकी चतुर्थ भुजाएं
विराजे जिसमें पुस्तक, वीणा
उस विधात्री, कवित्त शक्ति को
झुकाते अपना शीश हे ।
जिसकी भुजाओं में होते
विराजमान पुस्तक महाज्ञान
उस ईश्वरी, वर्णमातृका को
करते है हम सब प्रणाम ।
जिनकी भुजाओं में होती वीणा
जिसे हम कहते है वीणा ज्ञान
वीणा की धुन मिटाती अज्ञानता को
उस वीणा- पाणी को नमन ।
जिसकी आराधना करें ये जग
जो ज्ञान दे पूरे संसार को
उस मां सरस्वती, भारती को
करे सलाम, ये जग सारी ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय बिहार