Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

मां शारदा वागेश्वरी

मां शारदा वागेश्वरी
———————–
रूठे हुए शब्दों को मैं मनाऊं कैसे
दिल की गहराई से उनको निकालू कैसे।।1।।

लेके बैठा हूं सामने कलम और स्याही
शब्द ही न सूझे और लेखनी हैं धराशायी।।2।।

शरण जाऊं किसके, सोच में मैं पड़ा
मन तो था खाली और दुविधा बड़ा।।3।।

नाकाम कोशिशें कर रहा था
शब्द पकड़ में नहीं आ रहा था।।4।।

नाच रहे थे शब्द लिए रिंगन खेली
पकड़ नहीं आए खेले आंख मिचौली।।5।।

बैठा जाके मां शारदा के पास
कही डाल दें वो दो चार शब्दों की घास।।6।।

पकड़ के चरण उनके आसुओं में भिगोएं
तब जाके कहीं ये चार शब्द पिरोए।।7।।

कहूं क्या मैं? मां शारदा के लिए
शब्द ब्रह्म वहीं हैं, वहीं शब्द दिलाएं।।8।।

सोच रहा था मैं, मैं “मैं ” हूं अबतक
शब्दों के बिना “मैं” कुछ नही जबतक।।9।।

जय शारदे वागेश्वरी पुकारता हूं अब से
नमन स्वीकारों मां ओछा पड़ा मैं तब से।।10।।

शब्द पिरोये बिना तो काव्य अधूरा हैं
और काव्य बिना तो जीवन अंधेरा हैं।।11।।

मंदार गांगल “मानस”

Language: Hindi
45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mandar Gangal
View all
You may also like:
शायरी
शायरी
Sandeep Thakur
शुक्रिया पेरासिटामोल का...! ❤
शुक्रिया पेरासिटामोल का...! ❤
शिवम "सहज"
Vo yaad bi kiy yaad hai
Vo yaad bi kiy yaad hai
Aisha mohan
#मानवता का गिरता स्तर
#मानवता का गिरता स्तर
Radheshyam Khatik
चुप्पी!
चुप्पी!
कविता झा ‘गीत’
*आत्मविश्वास*
*आत्मविश्वास*
Ritu Asooja
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल
Ranjeet kumar patre
किताबें
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
बदल चुका क्या समय का लय?
बदल चुका क्या समय का लय?
Buddha Prakash
.
.
Amulyaa Ratan
माँ
माँ
SHAMA PARVEEN
4602.*पूर्णिका*
4602.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सारे निशां मिटा देते हैं।
सारे निशां मिटा देते हैं।
Taj Mohammad
मैं देता उनको साधुवाद जो निज कर्तव्य निभाते
मैं देता उनको साधुवाद जो निज कर्तव्य निभाते
महेश चन्द्र त्रिपाठी
उल्फत के हर वर्क पर,
उल्फत के हर वर्क पर,
sushil sarna
..
..
*प्रणय*
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भारत देश
भारत देश
लक्ष्मी सिंह
तेरे शहर में आया हूँ, नाम तो सुन ही लिया होगा..
तेरे शहर में आया हूँ, नाम तो सुन ही लिया होगा..
Ravi Betulwala
पौधे मांगे थे गुलों के
पौधे मांगे थे गुलों के
Umender kumar
चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
चालाकी कहां मिलती है मुझे भी बता दो,
Shubham Pandey (S P)
आप लिखते कमाल हैं साहिब।
आप लिखते कमाल हैं साहिब।
सत्य कुमार प्रेमी
'प्रेम पथ की शक्ति है'
'प्रेम पथ की शक्ति है'
हरिओम 'कोमल'
कोई भोली समझता है
कोई भोली समझता है
VINOD CHAUHAN
गम इतने दिए जिंदगी ने
गम इतने दिए जिंदगी ने
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
पूर्वार्थ
मुक्तक... छंद मनमोहन
मुक्तक... छंद मनमोहन
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...