मां वह अहसास
-मां वह अहसास
मां बच्चे का रिश्ता होता खास है
और माँ वह एहसास है
जीवन में हरी-भरी खुशहाली का
जैसै थकान में भरी चाय की प्याली सा!!
अपनापन लिए, वात्सल्यभरा हिए
अनमोल बंधन है।
कई रूप की मूर्त है वह,
जीवनदायिनी का स्वरूप है वह।
परिवार को है महकाती,
जीवन को खुशहाली देती,
रिश्तों की डोर मजबूत बनाती है।
हर कार्य को करने तत्पर रहती है,
जीवन की कठिनाई को,
मुश्किल भरी राह को
वह सरल बनाती है।
जिम्मेदारी से है भरा जीवन उनका,
छुपा कर रखती ढ़ेर सपना,
शिकन नहीं मन में तिनका, पर…
मेरी इच्छा को करती है पूरा,
चाहे,मन इच्छाउनकी रहे अधूरा।
सकारात्मकता को लेकर चलती,
हर व्यक्तित्व को प्रभावित करती।
वह करूणा का है सागर गहरा,
मन मैं मेरे सुकून का पहरा।
वह मुस्कराहट बनी राह,
है वह प्यार,वही चाह।
माँ की ममता है अनमोल,
नहीं है इसका कोई मोल।
मां तभी तो खास है
सबके समृद्धि का विश्वास है।
-सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान