मां में बसते
माँ के चरणों में मेरा प्रणाम है
चरणों में बसते चारों धाम है।
मां के चरण छू कर आया हूँ
चारों धाम घूम कर आया हूं
मेरी दुनिया मेरी माँ में बसती है
मझधार पार कराती वो कश्ती है
जिसके सिर पर मां का साया है
उसकी आँखों में आंसू न आया है
मां अब तू नही आती तेरी याद आती है
सपनों में आकर मेरे लोरियां सुनाती है
गलती पर डांटने वाला अब ना कोई है
मां तुझे याद करके ये अँखियाँ रोईं हैं
मां का वो आँचल बहुत याद आता है
उसका बिछुड़ना मुझे बहुत रुलाता है
दिल का दर्द छिपाए फिरता हूँ
आँसू न छलक जाए डरता हूँ