मां बेटी
आज जीवन की हम सब मां और बेटी का जीवन को बताते हैं सच तो यह है कि परिवार में नारी ही नारी को समझ पाती है। आज आधुनिक युग कितना भी है फिर भी हम सभी आज नारी को कहीं ना कहीं कमजोर समझते हैं क्योंकि आज देश में गांव की प्रथाएं आज भी कहीं ना कहीं लागू है और नई आज भी घुंघट में अपना जीवन व्यतीत कर रही है क्योंकि देश की सारी आबादी शहर में ही नहीं रहती है अभी भी देश में गांव मौजूद है।
अनीता और शारदा की शारदा एक बैंक में क्लर्क होती है। अनीता उसकी एकमात्र पुत्री होती है। जो की लाड प्यार में थोड़ी सी अल्हड़ होती है। और जब अनीता जवानी की दहलीज पर कदम रखती हैं । एक दिन अनीता अपनी मां शारदा के साथ चाय पी रही होती है। तब अनीता अपनी मां से पूछती है मां मां आप पापा के बारे में बताओ कि पापा कहां चले गए और पापा कैसे थे। मुझे भी तो कुछ बताओ ना तब मन उठ कर जाती है और अलमारी में से एक बहुत बड़ा डिब्बा निकाल कर लाती है और उसे डिब्बे को जब अनीता को देती है और वह अनीता को देती है फिर अनीता से कहती है बेटा तुम इसको खोलो अनीता डब्बा खोलती है और उसमें से रखी हुई फोटो की एल्बम को निकलती है और उसको खोलकर बरसों से लगी धूल को साफ करती है तब उसे वह अपनी मां शारदा के साथ बैठकर देखी है तब मां और बेटी दोनों एल्बम में अपनी मां की बताई हुई बातों को सुनकर मां और बेटी दोनों अतीत के पलों में खो जाती है और मां शारदा अपनी बेटी अनीता को उसके पिता रणजीत सिंह की कहानी सुनाती है कि वह एक फौज में कर्नल थे। मेडल जीते और जब वह रिटायर होकर शहर आ गए और तुमने जन्म लिया था तब उन्होंने नौकरी रिटायरमेंट के बाद बैंक में कर ली। और जब एक बार बैंक में कुछ गुंडो ने लूटपाट करने की कोशिश की तब तुम्हारे पिताजी ने उनसे मुकाबला किया और उसे मुकाबले में उनकी मृत्यु हो गई क्योंकि गुंडो की गोलियों के साथ-साथ उनको भी गोली लग चुकी थी। फिर उसकी मां शारदा बोली कि जब तेरे पिता का देहांत हो गया तब मैं भी बैंक में नौकरी कर ली और दोनों मां बेटी एल्बम देखते देखते आंखों के आंसू पोछ कर अपने चेहरे की भाव को बदलते हुए अनीता रहती है मां मां आप चाय पियेंगी। हां हां बेटी तुम चाय बना लाओ। और अनीता चाय बना कर लाती है और फिर दोनों मां बेटी एक दूसरे को देखते हुए चाय पीने लगती है।
मां और बेटी आज भी जीवन के संग साथ निभाती और रहती है। आज भी आधुनिक युग में एक सच है की जीवन में परिवार में कितना भी सुख दुख आ जाए फिर भी मां और बेटी एक दूसरे की सहयोग करती है आज आधुनिक युग में बेटी ही बेटे का दायित्व निभाती है यह कहानी एक हकीकत तो सच के साथ मां और बेटी के संग साथ को सच बताती है।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र