मां बाप
मां बाप
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बैठा था आज मैं मां के बारे में लिखने
पता लग नही रहे थे सही शब्द सूझने
लिखते लिखते मेरी कलम थक गई
कोशिश करनेवालों की हार नही हुई।।1।।
नौ महीने गोद में उसने पाला था मुझको
सारे संस्कारों के रस भिगोया था मुझको
जरूरत क्या थी उसे ऐसा करने की
ऐसे ही जन्म देती मुझे जग में आने की।।2।।
कई संतान आजकल कहते है की
अंजाम है हम मां बाप की मजा की
चाहता हूं कहना ऐसे संतानों को
खुद कभी पूछ ले अंदर के इंसान को।।3।।
ना मिले होते अच्छे पालन पोषण को
ना मिले होते कभी अच्छे इंसान को
क्या तुम भी कभी अच्छी राह चलते
क्या तुम भी कभी अच्छे इंसान बनते।।4।।
निसर्ग की व्यवस्था में खलन नहीं डालते
वरना कुत्ते बिल्लियों को इंसान पैदा होते
शुक्र करो वक्त हैं अभी अपने मां बाप का
वो नही होते कैसा आप जीवन यापन करते।।5।।
मंदार गांगल ” मानस”